कोरोना वायरस इंसान मल में कई हफ्तों तक जिंदा रह सकता है। संक्रमित व्यक्ति अगर ठीक भी हो जाए तो कुछ हफ्तों तक उसके मल में ये वायरस मौजूद रह सकता है और अगर कोई मक्खी इस पर बैठ जाए तो वो वह वाहक का काम कर सकती है। लैंसेट जर्नल में प्रकाशित रिसर्च में यह बात कही गई है। यह रिसर्च चीनी वैज्ञानिकों ने की है। महानायक अमिताभ बच्चन ने भी इसे समझाने के लिए सोशल मीडिया पर वीडियो शेयर करके खुले में शौच न करने की अपील की है।
कोरोनवायरस के तीन मामलों में पुष्टि भी हुई
लैंसेट की रिपोर्ट में कोरोना के तीनों प्रकारों का हवाला देते हुए समझाया गया है कि कैसे यह इंसान के मल में पाया गया है। यह कितने तापमान तक जिंदा रहता है, इसका भी जिक्र किया गया है।
पहला मामलारू सार्स
रिपोर्ट के मुताबिक, 2002-03 में जब सार्स (कोरोना का एक प्रकार) का संक्रमण हुआ था तो मरीजों के मल में संक्रमण से पांच दिन के बाद से भी यह वायरस पाया गया। बीमारी के 11वें दिन तक मल में वायरस का आरएनए और बढ़ गया। बीजिंग के दो अस्पतालों में सीवेज वाटर की जांच में इसकी पुष्टि हुई। रिसर्च में सामने आया कि यह 4 डिग्री सेंटीग्रेट तापमान पर 14 दिन तक संक्रमण करने की स्थिति में रहता है। वहीं 20 डिग्री तापमान पर दो दिन तक जिंदा रहता है। अगर तापमान 38 डिग्री है तो इसे खत्म होने में 24 घंटे लगते हैं।
दूसरा मामलारू मर्स
2012 में मेर्स (कोरोनावायरस का एक प्रकार) के संक्रमण के दौरान मरीजों के 14.6 फीसदी सैम्पल में यह वायरस मिला। यह वायरस भी कम तापमान और नमी में जिंदा रह सकता है और मल के जरिए फैल सकता है। रिसर्च के मुताबिक, मेर्स इंसान के शरीर में पहुंचकर अपनी संख्या भी बढ़ा सकता है।
इंसानी मल में 5 हफ्तों तक जिंदा रहता है कोरोनावायरस
इंसानी मल में 5 हफ्तों तक जिंदा रहता है कोरोनावायरस